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मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी |
मिर्ज़ा ग़ालिब मुग़ल के आख़िरी शासक बहादुर शाह ज़फ़र के दरबारी कवि भी रहे थे। मिर्ज़ा ग़ालिब को उर्दू शेरों शायरी की दुनिया का सर्वकालिक शायर माना जाता है। अपने जीवन काल के दौरान उन्होंने उर्दू शेरों शायरी के अलावा फ़ारसी कविताओं का रूपांतरण हिन्दुस्तानी भाषा में किया, जिसे यहां के लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया।
मिर्ज़ा ग़ालिब उन दमदार लोगों में से एक थे, जिन्होंने अपनी काबिलियत, यानी अपनी शेरों शायरी के दम पर अपना नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों पर अमर कर लिया। मिर्ज़ा ग़ालिब की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि आज भी उनकी शायरियां लोगों को जवानी याद है।
यहां हमने मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ बेहतरीन शायरियों का संग्रह बनाया है, हम आशा करते है आपको हमारा ये संग्रह पसंद आयेगा।
कितना खौफ होता है...
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कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
हमें मालूम है ग़ालिब, हकीकत जन्नत की...
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हमें मालूम है ग़ालिब, हकीकत जन्नत की, मगर दिल को खुश रखने के लिए ये ख्याल अच्छा है..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
मुझसे कहती है तेरे साथ रहूंगी सदा...
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मुझसे कहती है तेरे साथ रहूंगी सदा, ग़ालिब बहुत प्यार करती है मुझसे उदासी मेरी..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
उम्र भर ग़ालिब यही गलती करते रहे...
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उम्र भर ग़ालिब यही गलती करते रहे, धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करते रहे..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
कौन पूछता है पिज़रे में बंद परिंदो को ग़ालिब...
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कौन पूछता है पिज़रे में बंद परिंदो को ग़ालिब, याद वहीं आते है जो उड़ जाते है..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
हाथों की लकीरों पे मत जाना ग़ालिब...
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हाथों की लकीरों पे मत जाना ग़ालिब, किस्मत उनकी भी होती है जिनके हांथ नहीं होते..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
जब लगा था तीर...
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जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब, दर्द का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनो के हांथ में..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
हजारों ख्वाहिशें ऐसी...
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
गुनाह करके कहां जाओगे ग़ालिब...
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गुनाह करके कहां जाओगे ग़ालिब, ये जमी ये आसमा सब उसी का है..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
इश्क पर जोर नहीं है...
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इश्क पर जोर नहीं है, ये वो आतिश है ग़ालिब, जो न लगाए लगे और न बुझाए बुझे..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
Mirza Ghalib Shayari on Love: Love Shayari
आता है कौन-कौन तेरे गम को बांटने...
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आता है कौन-कौन तेरे गम को बांटने, गालिब तू अपने मौत की अफवाह उड़ा कर देख..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
यह चंद दिनों की दुनिया है गालिब...
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यह चंद दिनों की दुनिया है गालिब, यहां पलकों पर बिठाया जाता है नजरों से गिराने के लिए..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
बुरे वक्त जरा अदब से पेश आ...
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बुरे वक्त जरा अदब से पेश आ, क्योंकि वक्त नहीं लगता वक्त बदलते..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
मंज़िल मिलेगी, भटकर ही सही...
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मंज़िल मिलेगी, भटकर ही सही, गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
कुछ इस तरह से जिंदगी को आसान कर लिया हमने...
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कुछ इस तरह से जिंदगी को आसान कर लिया हमने, किसी से माफी मांग ली तो किसी को माफ कर दिया हमने..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
Mirza Ghalib Shayari on Zindagi: Ghalib Poetry
रहने दे मुझे इन अंधेरों में ग़ालिब...
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रहने दे मुझे इन अंधेरों में ग़ालिब, कमबख्त रोशनी में अपनों के असली चेहरे सामने आ जाते हैं..!! मिर्ज़ा ग़ालिब |
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