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Hindi Shayari — हिंदी शायरी
अब तक उतरते है वहां खुशबुओं के काफिले, भूले से लिख दिया था तेरा नाम जिस जगह।
प्यास इतनी है कि पी जाऊँ समुन्दर सारा, सब्र इतना है कि शबनम से भी मुँह फेर लिया।
क्या शिकवा... क्या उम्मीद... क्या मशवरा... कीजिए, जब जाने वाले ने जाने की ठानी है तो उसे जाने दीजिए।
वो जिन्हें मिलना नहीं होता, वो फिर मिलते ही क्यों है।
कल एक फ़कीर ने मेरी आँखों में झांक कर बोला, वाह... तू तो बहुत खुशमिजाज़ था… इश्क़ होने से पहले।
तन्हा समझ रहा है अब हर सक्स दिल को मेरे, वो क्या जाने दुनिया बसी है इसमें, ख्यालों के किसी की।
छोड़ कर जाने वाले क्या जानें, यादों का बोझ कितना भारी होता है।
बेवजह यूं हम पे जाया न करो, अपना कीमती वक़्त कीमती लोगों को दो।
मालूम नहीं मुझको तारीफ़ चेहरों की, मुझे वो हर शख़्स प्यारा है जो तुमसा हो।
बस इतने क़रीब रहो मेरे, कि बाते ना भी हो तो दूरी ना लगे।
सब मुझे छोड़ते जा रहे है, ऐ ज़िन्दगी तुझे भी इजाज़त है अलविदा कहने की।
मोहब्बत करके किसी को छोड़ देना, यक़ीनन उसके क़त्ल करने के बराबर है।
अपने लबों को कोई और काम दे दो तुम, आंखें बेहतर बोलती है तुम्हारी।
नही मिलेगा कोई और मुझसा तुझे, इजाजत है तुझे जा ढूंढ़ ले जमाने में।
अब तो ये कमबख्त आँखें भी गुलाम है तेरी, खुली हो तो ढूंढती है तुम्हें, बन्द हो तो ख्वाबों में बुलाती है तुम्हें।
प्यार की वारदात होने दो, कुछ तो ऐसे हालात होने दो, लफ्ज़ अगर बात नहीं कर सकते, कम से कम आँखों की तो आँखों से बात होने दो।
तुम्हारा दिया हुआ इंतजार तुम्हें सौप जाएंगे, हम चले जाएंगे तुम्हें इंतजार में छोड़कर।
उन्हें भरम है कि मुंह फेर लेने से भूल जाएंगी हमें, अब कौन समझाये उन्हें कि आंखे मूंद लेने से रात नहीं होती।
इतनी शिकायत लाते कहां से हो, समझ नही आता… इश्क़ करते हो या हिसाब।
हिसाब से की होती तो मोहब्बत न कहते उसे, उसे खुदा का फरिश्ता समझकर बेपनाह चाहा मैंने।
अब तो बातें भी बंद हो गयी है हमारी, अब किस बात पर खफा हो तुम।
अल्फाजों के दीवाने तो बहुत मिलेंगे दोस्त, तलाश उसकी करना जो खामोशी पढ़ ले।
शायरी यूँ ही बे—सबब नहीं लिखी जाती, शायर के दिल में भी एक तस्वीर होती है।
जब हो जाए इश्क़ तो बता देना, अभी तुम्हारी बातों में वो बात नही।
तुम मिलो तो मैं लिखूं इश्क़ की दास्ताँ, दस्तखत करके तुम इसे मुक़म्मल कर देना।
ज़रा—ज़रा सी बात पर तकरार करने लगे हो, लगता है तुम मुझसे बेइंतिहा प्यार करने लगे हो।
काश कभी तुम समझ पाओ इस प्यार के जुनून को, हैरान रह जाओगे मेरे दिल में अपनी कदर देख कर।
अदा निराली है इश्क़ की, शिकायतों में भी वो ही, और दुआओं में भी वो ही।
कैसे सीने से लगाऊँ तुझे जब किसी और के हो तुम, मेरे होते तो बताते मोहब्बत किसको कहते है।
उसने पूछा… सात जन्म तक साथ दोगे न मेरा, मैंने कहा ये तुम तय करो,,, मैं सिर्फ तुम्हे मुहब्बत करूंगा।
खफा होना, इतराना, फिर लिपट जाना, तीनो ही रंगों में बहुत जंचती हो तुम।
ख्याल—ए—यार में नींद का तसव्वुर कैसा, आँख लगती ही नहीं आँख लड़ी है जबसे।
नशा था उनके प्यार का जिसमें हम खो गए, हमें भी नहीं पता चला कि कब हम उनके हो गए।
अल्फाजों में ढाल के रख दिया है दिल, फिर भी पूछते हो, मुहब्बत है या नहीं।
मैं शायर हूं मुहब्बत का, इश्क़ से नज़्म सजाता हूं, कभी पढ़ता हूं मुहब्बत को, कभी मुहब्बत लिख जाता हूं।
कितना प्यार है तुमसे, कैसे तुम्हे बताऊँ… महसूस करो मेरे एहसास को, अब मैं गवाह कहाँ से लाऊँ।
मेरी मोहब्बत की ना सही, मेरे सलिके की तो दाद दे, रोज़ तेरा ज़िक्र करता हूँ, बगैर तेरा नाम लिये।
नुक्स निकालते है वो अब इस कदर हम में, जैसे उन्हे ख़ुदा चाहिए था, और हम इंसान निकले।
जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में, ये बात और है कि नजर तुम पर ही ठहरी मेरी।
इश्क़ का तो ऐसा हिसाब है साहब, कि बंद हो चुका नंबर भी डिलीट करने का मन नहीं करता।
रूह में समाए हो तुम इस क़दर, कोई देखें मुझे तो नज़र तुम्हीं आते हो।
काश मेरी यादों में तुम इस कदर उलझ जाओ, इधर हम याद करें तुम्हे, उधर तुम समझ जाओ।
नब्ज़ क्या ख़ाक बोलेगी हुज़ूर, जो दिल पे गुज़री है वो दिल ही जानता है।
कुबूल है मुझे सारी नज़र अंदाजिया तेरी, बस शर्त इतनी सी है कि तेरे इश़्क में मिलावट ना हो।
महक जाऊं मैं तेरे इश्क की खुश्बू से, तुम मुझसे मिलकर कोई ऐसी बहार दे।
हमें एहमियत भी नहीँ दी गयी जहां, वहां हम अपनी जान दे रहे थे।
अपनी सांसें अपनी आहें, सब तुम पर वार बैठे हैं, मोहब्ब्त तेरे सदके में, हम खुद को हार बैठे है।
बहुत संभाल कर खर्च करते है तेरी यादों की दौलत, आखिर एक उम्र गुजारनी है इन्हीं की बदौलत।
चाहत—ए—इश्क़ बेवजह ही रहने दो, वजह दे कर कहीं साजिश ना बन जाए मोहब्ब्त हमारी।
हमारा और उनका प्यार तो देखो यारों, कलम का नशा हम करते है, और मदहोश वो हो जाती है।
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