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दर्द भरी शायरी |
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आज एक बार फिर अपने बांहों में सुला तो सही, झूठा ही सही मगर प्यार जता तो सही।
तुझसे इश्क़ का मुझे ताउम्र मलाल रहेगा, हुआ क्यूं तुझी से यही एक सवाल रहेगा।
यादे तेरी अब भी मुझको सोने नहीं देती है, रोना चाहूं तन्हा रातों को तो, मुझको रोने भी नही देती है।
सोता हूं तस्वीर तुम्हारी सीने से लगा के, आजा एक बार फिर से मुझको गले लगा ले।
खुश रखूंगा मैं तुझे ऐसा कहा था, बहुत प्यारा खुशियों से भरा अपना जंहा था।
बहुत शोर मचाती है वो बाते मेरे दिल में, जिन्हे मैं तुमसे कभी कह ही नही पाया।
हद से ज्यादा मैंने तुझे माना था अपना, कैसे भूल जाऊ तेरे संग देखा हर एक सपना।
एक उम्र जिया है मैंने तेरी यादों में, अब जो तेरी यादें नही होती, तो बिल्कुल तन्हा हो जाता हूं मैं।
दे तो आवाज मुझे फिर एक बार तू, भुला के सब शिकवे गिले तुझे करता रहूंगा प्यार उम्र भर।
तेरी जुदाई का जख्म दिल में लेके, अब मैं जीने लगा हूं, दर्द जुदाई वाला पीने लगा हूं।
भले ही तू अब किसी और की यादों में रहती है, मगर तेरे दिए आंसू, अब भी मेरी आंखो से बहती है।
ए मौसम तू चाहे जितना बदल ले, मेरे सनम से ज्यादा हुनरमंद नही हो सकता तू।
तुझे खोना नही चाहता था, इसलिए कभी पाने की जिद भी नही की।
तकलीफ मुझे अकेलेपन से नही, तेरा मेरे साथ न होने के एहसास से है।
दिल की सुर्ख दीवारों पर लिखा है तेरा नाम, तेरे ही नाम से होता रहा हूं बदनाम।
दर्द मेरा अब अस्क बन के छलकता है, अंधेरी रातों में भी सिर्फ तेरा ही चेहरा झलकता है।
तेरी कही मीठी बातें मुझे अब सोने नही देती है, राते तो जल्दी है आती है मगर सुबह नहीं होती है।
मुझे तरपती है जो, वो हर एक जख्म उनके ही दिए हैं, क्या बताए कि उनकी यादों में हम, तन्हा कैसे जिए है।
ये कहां आ गए हम तुझे पाने की चाहत में, ना तो तुझे पा सके, ना खुद के रहे।
नाराज हूँ तुझ से आकर मना ले मुझे... बहुत तड़पा हूँ तेरे बिन अब अपने सीने से लगा ले मुझे।
सुनो, तुम थक तो नहीं जाओगी ना… इन्तजार करते करते, मैं तुमको माँग कर खुदा से आऊँ जब तक।
चाय के कप से उड़ते धुंए में, मुझे तेरी शक़्ल नज़र आती है… तेरे इन्ही ख़यालों में खोकर, मेरी चाय अक्सर ठंडी हो जाती है।
रूहानियत इश्क की ना पूछो मुझसे… एक ख्याल से ही मिजाज बदल जाता है।
ये क्या तुम फिर से ख़यालों में आ गए, सुबह, सुबह हमको कोई काम नहीं क्या।
तेरी खामोशी में मेरी मोहब्बत बोलती है… तेरे नाम के सजदे में मेरी इबादत बोलती है।
रिश्ता ये कैसा… तेरा मुझसे… जिंदगी तेरी है और सांसें मेरी चलती है।
इश्क़ की गिरफ्त से आज़ाद कर दिया उसे, बेचैन बहुत थी वो मुझसे पीछा छुड़ाने को।
क्या कशिश है तुम्हारी आँखों मे, तुझको देखा और तेरा हो गया।
प्रेम पारस है, जिसे छू ले उसे चंदन कर दे, प्रेम इबादत है जिसे हो जाएं,,, उसे खुदा कर दे, प्रेम सफर है, जिसे हो जाय उसे,,, मुसाफिर कर दे, प्रेम तपस्या है, जिसे हो जाय
उसे,,, फ़क़ीर कर दे, प्रेम गज़ब है जिसे हो जाय
उसे,,, अज़ब कर दे।
इक बूंद इश्क़ तेरा, सैलाब लाता है मुझमें।
सालों गुजर गये है मगर फिर भी कमाल है, इस दिल में अब तलक जिंदा उसका ख्याल है।
जहाँ खुद को सस्ता कर दिया जाए, वहां मुहब्बत बहुत महँगी पड़ती है।
तुम मेरे हो ऐसी हम जिद नहीं करेंगे, मगर हम तुम्हारे ही रहेंगे ये तो हम हक से कहेंगे।
हसरतें मचल रही है उन्हें अपना बनाने चला हूं, अंजाम—ए—दीवानगी का उनको असर दिखाने चला हूं, फिर से एक सपना आंखों में सजाने चला हूं, उम्मीदों के सहारे दिल लगाने चला हूं, पता है मुझको अंजाम बुरा ही होगा मोहब्बत का, फिर भी सरगम सी जिंदगी में साज बनाने चला हूं।
अपनी निगाहों से दिल पर तुम्हारे एक पैगाम लिख दूं, मोहब्बत—ए—वफा का खुशनुमा अंजाम लिख दूं, अगर मेरे लबों पे तुम गजल बनकर चले आओ, सातों जन्म और दिल की हर धड़कन तेरे नाम लिख दूं, दौर—ए—जिंदगी की वह आखिरी रात भी तेरे नाम कर दू।
दो नावों पर सवार था उसकी ज़िंदगी का सफर, हमने खुद कि नाव डूबो कर उसका सफ़र आसान कर दिया।
हम जब भी लिखेंगे खैरियत ही लिखेंगे, तुम सिर्फ़ बिखरी हुई स्याही पर गौर फरमाना।
होंठो पर शिक़ायत का क़ाफिला है, और आँखों में गले लगाने की तलब।
जंग न लग जाये कहीं मोहब्बत को, रूठने मनाने के सिलसिले को जारी रखना।
वह कपड़े उतारने को मोहब्बत समझ रही थी, हमने दुपट्टा देकर उसका नजरिया बदल दिया।
जालिम इश्क़ मोहब्बत भी क्या चीज़ है… तुझसे बात न हो तो दिल नहीं लगता..बात हो तो जी नहीं भरता।
तुम मुझमें जिते हो,,, इसलिये मैं तुम पे मरता है, ढल गया एक ओर दिन, हिज़्र में तेरे,,, जवानी थोड़ी और खत्म हुई, फिक्र में तेरे, ना रात कटती है और ना ही जिंदगी, एक शख्स वक़्त को बहुत धीमा कर गया।
हर्फ़ सिर्फ़ नही है मेरे अल्फ़ाज़, मर्ज़—ए—दिल की जराहत रखते है, देखा है तेरा हाल—ए—दिल, उसे ठीक करने की चाहत रखते है, ख़ामोशी में भी तेरे लब पर, मुस्कुराहट लाने की ताक़त रखते है, इतने भी नाकाम नहीं हम, तुझे तुझसे चुराने की ताकत रखते है।
अगर इंतजार ही इश्क़ है तो, आखिरी सांस तक ये ज़िन्दगी तेरे हवाले करते है।
नाम तेरा कुछ ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर, कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए... तो भी दिल जोड़—जोड़ से धड़कने लगता है।
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं, मुरशद मगर याद आता है तेरा मुझसे मोहब्बत करना।
कपड़े उतारना और मोहब्बत करना, दोनो ही अलग चीज़ है साहेब।
मैंने उनके कानों का झुमका… उनके आँखों में शर्माहट… और उनके होंठो पे हल्की सी मुस्कुराहट देखी है।
तेरे सिवा मुझे कुछ याद नही,,, ख़ुदा ही जाने मैंने इस दुनिया में और क्या देखा है।
फूल चाहते है आप… कांटों के बिना,,, इश्क़ कहां मुकम्मल होता है अश्कों के बिना।
मेरे सिवा जो भी तुझ पर मरे, खुदा करे वो जल्दी मरें।
बिखर कर रह गया मेरी चाहतों का वजूद… मैं तो समझा था इश्क़ संवार देगा मुझे।
वो मुझे देखे... मुझे चाहे... मुझे अपना बना ले, हसरतें दिल की कोई कैसे संभाले।
वो खोटे सिक्के सा समझती रही मुझे… मैं हर बार उसके पास लौट जो आता था।
पढ़ लेना तुम खुद को ज़रा फुरसत से, मैंने हर गज़ल में फ़क़त तुम्हें ही लिखा है।
अरे लिखने को तो आज भी अल्फ़ाज़ हज़ार है, लेकिन अब जवाब देने का मन नहीं करता है उसे… क्योंकि जिसके लिए लिखते थे वो अब बेवफ़ा यार है।
कितनी हसरतों से बुना था वो ख़्वाब...अब बस एक ख़्वाब ही रह गया, कुछ ऐसा तूफान लेके आयी वो मेरी ज़िंदगी में की मैं उससे कहते कहते रह गया।
जमाने में कुछ लोगों को साथ छोड़ते देखा है… किसी को नजरे चुराते देखा है… मोहब्बत नहीं दिल्लगी, जमाने में निगाहों का धोखा है।
तमाम शराबें पी ली थी, इस जहाँ की मगर… उसकी आँखों में झाँका तो जाना आखिर, नशा भी कोई चीज़ है।
उन्हें लगता है हम उन्हें कम जानते है, पर उन्हें सबसे ज्यादा हम जानते है।
हकीकत जान लो जुदा होने से पहले, मेरी सुन लो अपनी सुनाने से पहले, यह सोच लेना भूलने से पहले, बहुत रोई है यह आँखें मुस्कुराने से पहले।
फासले बढ़ा लिए तुमने तो हमने भी अपना मुंह मोड़ लिया… सच कहें तो बहुत खुश है जब से तेरे बारे में सोचना छोड़ दिया।
कैसा सितम है ये तेरा कि रोने भी नहीं देता… करीब आते नहीं और खुद से जुदा होने भी नहीं देता।
तेरी याद बहुत आ रही है, मुझे तेरी कमी सता रही है… तू अब आ जा मेरे पास, तेरे बिना मुझे दुनिया बहुत सता रही है।
दुनियां की हर खुशी छोड़ दी, मेरे होंठों ने हसी छोड़ दी… तुमने साथ छोड़ा जो कभी, तो समझ लेना हमने जिंदगी छोड़ दी।
खुश नहीं थे तुम हमे पाकर तो हम भी तुमसे जुदा होकर रोए नहीं… जागे नहीं तुम मेरे लिए रातो में तो, मगर हम तुम्हे याद करके सोए नहीं।
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