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हिंदी शायरी — Hindi Shayari



बेवजह से मेरे हालात हैं, क़िस्मत क़िस्मत की बात हैं, चाँद से इश्क़ हुआ हैं मुझे, और यहाँ अमावस की रात हैं।



लोग कहते हैं मोहब्बत नही करेंगे… लेकिन होनी को कौन टाल सकता हैं।



एक टीका बचपन में मोहब्बत की रोकथाम का भी लगाना था, सबसे ज्यादा मरीज तो इसी बीमारी के हैं।



ए मौत, आ लगाले गले मुझे, यूं अधमरा होके जीना नहीं मुझे नहीं आता।



तुम्हारी हर खुशी में मेरा साथ बेपनाह था, तुम मुझे ऐसे छोड़ के चली गई कि, मेरे दिल को लगा तुझे प्यार करना गुनाह था।



किरदार महकता हैं उसका मोहब्बत से हमारी, बदन में उनके कोई गूलाब थोड़े ही हैं।



आंसू, मुस्कान से ज्यादा स्पेशल होते हुए हैं, क्योंकि मुस्कान तो सबके लिए होती हैं, लेकिन आंसू सिर्फ एक के लिए होता हैं जिसे हम खोना नहीं चाहते।



इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए, तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना हैं।



दिल तोड़ने वाले सुन मुझे तुझसे कोई सिकायत नहीं, शिकायत तो मुझे ऊपर वाले से हैं, जिन्होंने दिल बनाया है।



किसी फूल ने इतनी खुशबू नहीं, जितना मुझ में तुम महकती हो।



लाख चाहूं की तुझे याद न करू मगर… इरादा अपनी जगह बेबसी अपनी जगह।



दूरियां मायने नहीं रखती गर नजदीकियां दिल से हों, नजदीकियां भी बेकार होती हैं, गर फासले दिल में हो।



नियत तो हमारी बस तुम्हें चाहने की हैं, नियती को क्या मंजूर हैं ये तो रब ही जाने।



बादलों का गुनाह नहीं कि वो बरस गए, दिल को हल्का करने का हक तो सबको हैं।



सारी जिंदगी बस इसी ग़लतफहमी में गुजारतें रहे, प्यार दिलों से होता था और हम शक्ल संवारते रहे।



एक तुमको ही थोड़ी तलब से देखते हैं हम, बाकी हर किसी को बड़े अदब से देखते हैं हम।



काश दुनिया की हर बुरी दुआ मुझे लगे, हो कुछ ऐसा कि बेमौत मर जाऊ मैं, और उसे भनक तक ना लगे।



दिल होना चाहिए जिगर होना चाहिए, आशिकी के लिए हुनर होना चाहिए, नजर से नजर मिलने पर इश्क नहीं होता, नजर के उस पार भी एक असर होना चाहिए।



जिन आंखों में झांक के तुम्हें तुम्हारा अक्स ख़ूबसूरत लगे, उन आंखों को कभी नहीं भूलना चाहिए।



आ 'थक' के कभी पास मेरे बैठ तो, तू ख़ुद को 'मुसाफ़िर', मुझको दीवार समझ ले।



वो भूल गए कि,,, उन्हें हसाया किसने था...? जब वो रूठे थे,,, तो मनाया किसने था..? वो कहते हैं कि... वो बहुत अच्छे हैं शायद… वो भूल गए कि,,, उन्हें यह बताया किसने था।



पहले लगता था एक ख़्वाब हो तुम, अब ये लगता हैं इक किताब हो तुम।



दिल की क्यारी मे जिसकी खुशबू हैं, मेरे दिल का वही गुलाब हो तुम।



अक्सर जिद्द को पकड़े रहने से हाथ और साथ दोनों छूट जाते हैं।



मेरी तन्हाई में जिधर देखो तुम ही तुम हो, हाँ बेहिसाब मोहब्बत हैं तुमसे।



संभल जाऊँ ग़र तो फ़िर जिया ही क्या, बहकने में मुझको अब मजा आ रहा हैं।



किस हद तक करता था, वो मोहब्बत सोचो… मैंने भुलाने को कहा, और उसने बात मान ली..!!



मेरे दिल ने जो कभी भेजा था, शायद उस ख़त का इक जवाब हो तुम।



समुंदर से खारा है तेरा इश्क, ना पी सकते हैं, और ना बिन पिए जी सकते हैं।



कभी तुम्हारी तस्वीर खींची थी मैंने, अब तुम्हारी तस्वीर खींचती हैं मुझे तेरी ओर।



इतिफाक रखते हैं हम आपकी बात से, सच में आपकी चाहत लाजवाब हैं, किसी और से ऐसी चाहत की उम्मीद रखना... ये तो बस एक ख़्वाब हैं।



सुबह ही रात हो गयी, कुछ ऐसी ही बात हो गयी, क्यों रूठ गए अचानक मुझसे मेरे चाहने वाले, शायद किसी और से उनकी मुलाकात हो गयी।



अब की अगर बिछड़े तो हमे भूल ही जाना, अब वो दौर गया… जब हम मनाया करते थे तुझे।



कत्ल करके जाता तो दुनिया की नज़रों में आ जाता, समझदार कातिल था मोहब्बत करके छोड़ गया।



मुस्कुराते हैं लबो से आँखों में नमीं रहती हैं, सब कूछ हैं मेरे पास हैं, बस एक तेरी ही कमी रहती हैं।



लिखने की चाहत फिर से ले आती हैं तेरे करीब, लफ्जों की तलाश ढूँढ लेती हैं पता तेरा।



मेरे इजहार पर कुछ इस तरह हां कहा उसने, बात करते करते मेरी मां को मां कहा उसने।



किसी की जुबान कुछ किस्से मशहूर कर देती हैं, किसी की चुप्पी कुछ कहानियों का बेवक़्त अंत कर देती हैं।



नफरत नहीं करूंगा तुमसे, बस अनजान हो जाऊंगा।



हजारों से बात नहीं करनी हैं मुझे, बस तुम से हजार बात करनी हैं मुझे।



जब तुम नहीं समझे, तब मैंने खुद को कितना समझाया ये तुम कभी नहीं समझोगे।



बहकते अश्क की कोई जुबान नहीं होती, लब्जों में मोहब्बत बयाँन नहीं होती, गर मिले प्यार तो कदर करना मेरे दोस्त, किस्मत हर किसी पर मेहरबाँ नही होती।



सिखा दो हमें भी कड़वे अल्फ़ाज़ों में शकर घोलना, सुना हैं मिलावट के गुरु हो तुम।



चार दिन की ज़िंदगी में किस किससे कतरा के चलूँ, खाक़ हूँ मैं...खाक़, क्या खाक़ इतरा के चलूँ।



देख के तुम्हारे होठों का तिल, न जाने क्यों धक-धक करने लगता हैं मेरा दिल।



फिर से महसूस हुई कमी तुम्हारी, आज फिर दिल को मनाने में हमें बड़ी देर लगी।



इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए, तुझे मेरी आँखों से नहीं... मेरे दिल से ओझल होना हैं।



वक़्त मिलने पे कर लिया जाये, इश्क़ आराम थोड़ी होता हैं।



ज़िन्दगी बस चार दिन की हैं, किसी से न गिला कीजिये,



दवा, ज़हर, जाम, इश्क, जो भी मिले… उसका मज़ा लीजिये।



रूह तक अपनी बात पहुचाने का दम रखते हैं, शायर हैं हम सीधा दिल में कदम रखते हैं।



वाकई पत्थर दिल ही होते हैं दिलजले शायर, वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं।



दिल से ज्यादा महफूज जगह नहीं इस दुनिया में, मगर सबसे ज्यादा लोग यहीं से लापता होते हैं।



वही शख्स मुझसे बगावत कर गया, जीत कर सल्तनत जिसके नाम करनी थी।



लगता हैं कुछ काला जादू किया हैं तूने, दिल मरता हैं… जिंदा होता हैं… और फिर मरता हैं... तुम पर।



उलझा रहता हूँ मैं हर शाम इसी कश्मकश में कि, तुम्हें अल्फाजों में ढालूं या फिर तेरी यादों में डूबा रहूं।



कभी पढ़ तो सही मेरी आँखों को, यहाँ दरिया बहता हैं तेरी मोहब्बत का।



भुला नही पा रहा जबसे तुझे लिखने लगा हूँ, माँ ठीक कहती थी लिखने से देर तक याद रहता है।



अजीब पैमाना हैं शायरी की परख का, जिसका दर्द जितना गहरा, शायरी उतनी ही अच्छी।



इससे पहले कि वो तुझको तुम से तू करदे, ये मशवरा हैं मेरा ख़त्म गुफ्तगू करदे।



दिल को छूकर चुपके से गुज़र जाऊंगा, तुम लफ़्ज़ों को पढ़ोगे, मैं रुह में उतर जाऊंगा।



कल बालों की सफेदी देखी तो मालूम हुआ, एक उम्र गुजर गई तुम्हे चाहते चाहते।



रूबरू आकर जो तुम मेरा हाथ थामते हो, होता हैं बहोत मुश्किल खुद को संभालना।



मैं मोहब्बत हूँ खूबसूरत हूँ… तुम इश्क़ हो महकते हो साँसो मे मेरी।



पिघल उठता हूँ अचानक, हिमालय के किसी ग्लेशियर की तरह, सुबह शाम जब मेरे ख्यालों मे आ जाती हो तुम… प्रिये।



तुम्हें उल्फ़त नहीं मुझसे, मुझे नफरत नहीं तुमसे, मगर एक शिकवा सा रहता हैं तुम्हें मुझसे… मुझे तुमसे।



तुम ख़ास नहीं... मेरी ख़ासियत हो।



कौन भूल पाता हैं जुदाई का दिन, हर शख्स के पास एक तारीख पुरानी होती हैं।



दिल तेरी हसरतों से खफा कैसे हो, तुझको भूल जाने की खता कैसे हो, रूह बनके समा गये हो मुझमें तुम, रूह फिर जिस्म से जुदा हो कैसे।



अक्सर पूछते हैं लोग हमसे की किसके लिए लिखते हो …



और हर बार ज़ेहन से एक ही आवाज आती हैं "काश कोई होता"।



चलती हैं दिल के शहर में यूँ हकुमत उनकी, बस जो भी उसने कह दिया... दस्तूर हो गया।



सदियों तलक मेरी मुहब्बत का जुनून हर जुबां का राज हो, कुछ ऐसा कर ऐ मेरे हमसफ़र तू कि… जमाने को हमारे इश्क पर नाज़ हो, मेरी हर शायरी... हर ग़ज़ल... हर सुर का... तुम ही तो साज हो, मेरे हर शब्द में हो तुम, तुम ही तो मेरे अल्फाज़ हो।



इश्क़ अगर खाक ना करदे... तो क्या ख़ाक इश्क़ हुआ।



मेरे महबूब यूं इश्क में बहाने बनाना छोड़ दे… तुझे जाना हैं तो बस एकबार में जा, यूं किश्तों में आना छोड़ दे।



खुशबू कि तासीर सा होता हैं इश्क़, ज़्यादा मेहकता हैं, जाहिर कम होता हैं।



तेरे अल्फाजों से भी हमें प्यार हैं, मगर न जाने क्यों हम इज़हार कर नहीं सकते, शायद तू हमारे लिए उस खुदा की तरह हैं, जिसका दीदार हम कर नहीं सकते।



तुम्हारे साथ ख़ामोश भी रहूं,,, तो बातें पूरी हो जाती हैं,,, तुम से,,, तुम तक,,, तुम पर ही,,, मेरी दुनिया पूरी हो जाती हैं।



नज़रों से दूर हो कर भी, यूं तेरा मेरे रूबरू रहना, किसी के पास रहने का सलीका हो... तो तुम सा हो।



मैं देखता हूं ख्यालों में तूझे, अंधेरों से लेकर उजालों में, ढूंढा जिन जबाबो में तूझे, पा लिया उन सवालों में तूझे, कैसे किसी और को हक दू तुझपर, सोचता हूं अपने साथ तूझे, हो सके तो तू भी हौसला रख, कहीं मिल जाऊ किसी दुआ में तूझे।



ऐसा क्या लिखूं कि तेरे दिल को तसल्ली हो जाये, क्या



ये बताना काफी नहीं कि… मेरी जिंदगी हो तुम।



किसी को याद करने के लिए हर बार कोई वजह नहीं चाहिए, जो सुकून देते हैं वो ज़हन में रहा करते हैं।



हाथ पर हाथ रखा उसने तो मालूम हुआ, अनकही बातो को कैसे सुना जाता हैं।



धड़कने आजाद हैं पहरे लगा कर देख लो, प्यार छुपता ही नहीं तुम छुपाकर देख लो।



मैं प्यार का साज दे रहा हूं तुम्हें, दिल का राज दे रहा हूं तुम्हे, ये शायरी... गजल तो सब बहाने हैं, मैं तो सिर्फ आवाज़ दे रहा हूं तुम्हें।



लोग कहते हैं मैं पत्थर दिल हूं, पर कुछ लोगों ने तो इसे भी तोड़ दिया।



तेरे बिन नही सुकूनँ तो बताओ मैं क्या करूँ, ये दुनियां भर के लोग मुझे बेगाने लगते हैं।



ऐतबार की जमीन पर हमने भी खिलाये थे प्यार के फूल, वफ़ा का पानी ना मिलने से वह जल्दी ही मुरझा गया।



एक तेरी ही तलब की हैं वरना, तलबगार तो मेरे भी बहोत हैं।



जिसे देखो वह तुम्हारा ही पता पूछता हैं, न जाने किस—किस से वफा के वादे किये हैं तूने।



होती रहती हैं आशिकों से इश्क में गलतियाँ, कोई जन्म से हीं मजनु और रांझा नहीं होता।



जाने कौन सी भाषा बोलती हैं तेरी आँखे, हर लफ्ज़ सीधा कलेजे में उतर जाता हैं।



इश्क़-ए-आरज़ू तुम्हें भी हैं हमसे… इज़हार तुम करो तो इशारा हम भी करें।



मोहब्बत रंग दे जाती हैं जब दिल दिल से मिलता हैं, मगर मुश्किल तो ये हैं दिल बड़ी मुश्किल से मिलता हैं ।



तुम्हारे..एक लम्हें पर भी मेरा हक़ नहीं… ना जाने… तुम किस हक़ से मेरे हर लम्हें में शामिल हो।



जो साथ रहकर हमारे... हमें सवार ना सके, वो खिलाफ होकर हमसे, हमारा क्या बिगाड़ लेंगे।



मेरी आँखों को रिहाई दे, मुझे हर जगह न दिखाई दे।



ख़ामोश रहकर तुमको, लफ़्जों में बयां करना भी इश्क़ का एक हिस्सा हैं,,, खामोशी से बस बातें तुम्हारी होती हैं।



तु बना के ताबीज गले में बाँध ले मुझे, मैं हर बला से महफूज रखूँगा तुझे।



वो हमीं को क़त्ल करते हैं नज़रों से, और हमीं से पूछते हैं… बतलाओ तो शहीद-ए-इश्क़ हमारी तलवार की धार कैसी हैं।



भरी कायनात मे हमने कितने ही मुखोटो को देखा हैं… चाय फीकी लगती हैं जबसे तेरे होठों को चखा हैं।



सुनों तूम अपने दिल के ज़ख्म दिखाओ तो सही… मैं उम्र भर की दवा न बन जाऊँ तो कहना।



तुम नखरों की बात करते हो, मेरे तो झुमके भी भारी हैं।



दीदार कशमकश में डालता हैं मुझे कि, तुम्हें देखूँ, या फिर ज़माना देखूँ।



मैंने तो बस वही खोया जो मेरा ना था, पर तुमने तो वो खोया जो सिर्फ तुम्हारा था।



जो महसूस करते हैं बँया कर देते हैं,,, हमसे ल़फ्जों की दगाबाज़ी नहीं होती।



मेरी हद भी तू हैं, मुझमें बेहद भी तू हैं।



तेज बारिश में कभी, कभी सर्द हवाओं में रहा, एक तेरा ज़िक्र था, जो मेरी सदाओं में रहा।



कितने लोगों से मेरे गहरे रिश्ते थे मगर, तेरा चेहरा ही सिर्फ मेरी दुआओं में रहा।



जिंदगी भर के इम्तिहान के बाद, वो शख्स किसी और का निकला।



तुमसे मिलकर आदतें बदल गई मेरी, कभी जो की थी वो चाहते बदल गई मेरी, अब एक किताब सी हो गई हैं ज़िन्दगी, जिसमें लिखी हैं सिर्फ हसीं कहानियां तेरी मेरी।



जख्में भी आयेंगे, मरहमे भी आयेंगे, दरम्याँ इश्क़ मे न जाने कितने मसले आयेंगे, अगर मिल जाती मोहब्बत आसानी से, तो नफरतों का कहां ठोर होता, कभी शिकवे भी आयेंगे, कभी गिले भी आयेंगे, भूल जाने की जद्दोजहद मे, जहन में उनकी ही यादों के काफिले आयेंगे।



जी भर के देखना हैं तुम्हें, बस तुमसे ही बात करनी हैं, बातें ख़त्म ना हों कभी, तुमसे ऐसी मुलाक़ात करनी हैं।



अपने हाथों से यूँ अपना चेहरा छुपाते क्यूँ हो, मुझसे शर्माते हो तो फिर मेरे सामने आते क्यूँ हो,,, तुम भी मेरी तरह कर लो… इकरार-ए-वफ़ा अब इश्क़ करते हो तो छुपाते क्यूँ हो।



इश्क़ की दुनिया हैं साहिब, यहाँ कुछ भी हो सकता हैं, दिल मिल भी सकता हैं, और खो भी सकता हैं, जिसे तुम चाहते हो, किसी और का भी हो सकता हैं, तुम समझो इबादत, वो गुनाह भी हो सकता हैं, अपना समझो जिसे वो सपना भी हो सकता हैं।



इतना मत तोड़ मुझे कि मैं, किसी और से जुड़ जाऊँ।



सजा ये हैं कि बंजर जमीन हूं मैं, और जुल्म ये हैं कि बारिशों से इश्क हो गया।



रोज़-रोज़ तुम्हे मांगने का किस्सा कुछ यूं खत्म किया… इस बार खुदा से हमने थोड़ा सब्र मांग लिया।



ज़हन तक पहुंच कर जान बन जाते हैं, कुछ लोग साँसों में उतरकर अनजान बन जाते हैं।



गुलशन में खूबसूरत फूल तो सभी होते हैं,,, पर जो नज़रों को पसंद हैं वो गुलाब तुम हो।



मुस्कुराहट का सबब बेवजह तो नहीं, ज़रूर मेरा चेहरा ख्यालों में आया होगा।



अपनी मशरूफियत में कहीं हमें इस कदर भी ना भूल जाना, कि हम मिट्टी के हवाले हो जाएं... और तुम्हें खबर तक ना हो।



अपनी मोहब्बत पर इतना तो भरोसा हैं मुझे, मेरी वफाएं कभी तुझे किसी और का होने नहीं देंगी।



खामोश रहेंगे… शिकवा भी नहीं करेंगे, तुम सितम करना… हम फिर भी मोहब्बत करेंगे।



ग़म में मुस्कुराने का हुनर रखता हुँ, रूठे महबूब मनाने का हुनर रखता हुँ, तल्ख़ होता नहीं कभी लहज़ा मेरा, तल्ख़ी में भी इश्क़ उपजाने का हुनर रखता हुँ।



एक लड़की के लिऐ मर जाओगे? यार इतने सस्ते मर्द हो क्या।



अंधेरों में खोकर भी अपनाया हैं तुझे, कुछ अज़ीब सी मोहब्ब़त हैं मेरी जिसमें बेशुमार से भी ज्यादा इश्क़ फ़रमाया हैं तुझे।



प्यार में खूली किताब मत होना… लोग दिलचस्पी खो देते हैं पढ़ने के बाद।



सभी से निवेदन हैं जो भी पोस्ट भेजें उसके नीचे अपना नाम जरूर लिख दें वरना हमें मेहनत करनी पड़ती हैं।



कभी तलाशो खुद को मेरे अल्फाजों में, अब तेरे रंग में रँगने की चाहत हैं।



जिसने मेरी हँसी में भी शिकन तलाश ली, बारीकियाँ तो देखिये उस शख्स की निगाह की।



तेरी समझ को समझने के लिए नासमझ जरूर बन जाते हैं, पर ये मत समझना के तुझे समझने की समझ नहीं हैं मुझमें।



एक वादा वफ़ा का आपसे निभाया न गया, और हमसे उम्मीद करते हो, सातों वचन निभाने की।



मोहब्बत-ए-हालात कभी ऐसे हो जाते हैं, उनको देखें बिना हम बेचैन हो जाते हैं।



माना कि तुम मेरे नहीं हो सके मगर, तुझे बयां करने का हक़ हम ताउम्र रखेंगे।



कोई जुस्तजू नही बस एक जुस्तजू के बाद, हर आरज़ू ख़तम तेरी आरजू के बाद।



आते हैं मेरे महबूब को जादू कमाल के, मुझे ही ले गया मुझसे निकाल के।



ये दिल चुप चाप हजारो गम सेह गया, कुछ था दिल में जो दिल में ही रेह गया।



शिकायत नहीं ज़िन्दगी से की तेरा साथ नहीं… बस तू खुश रहे मेरी कोई बात नहीं।



साथ मेरे बैठा था, पर किसी और के करीब था, वो अपना सा लगने वाला किसी और का नसीब था।



मैंने वहाँ भी तुझे माँगा था, जहाँ लोग सिर्फ खुशियाँ माँगा करते हैं।



लिख चुका हू हजारों अल्फ़ाज़ तेरे लिए… लेकिन जितना तुझे चाहा… उतना आज तक लिख नहीं पाया।



कभी तो खत्म होगी ये उदासियां ये वीरानियां, एक दिन तो अच्छा होगा चार दिन की ज़िन्दगी में।



मुस्कुराहट पे उसके मैं कुर्बान हूँ, भले ही आज़माये वो हमें... फिर भी वो हमारी जान हैं।



ख्वाबों में दो पल भी उसके साथ जन्नत के समान हैं, अरे प्यार तो उन्ही से करेंगे हम भले ही कुछ पल के मेहमान हैं।



प्यार में उसके फना हो जाऊं, जानता हूँ वो तोड़ेगी मेरे दिल को, फिर भी मैं दुआ करता हूँ कि मैं उसका हो जाऊं।



इतना भी ना चाहो की हमें खुद पर गूरुर हो जाए, आप चाहते हैं हमें इसमें कोई शक नहीं, पर कहीं हम खुद ही अपने दीवाने ना हो जाएं।



ख़ुद को डाँटूगा सारी बातों पे, न जाने किस बात पर ख़फ़ा हो तुम।



पूछा जो उसने… इश्क का मतलब...? हमने भी कह दिया… बस एक अफवाह… जो उडती रहती हैं… तुम्हारे और मेरे दरमियां की।



लफ्जों में तेरा ज़िक्र,,, यादों में तेरा शोर हैं… तेरी चाहत ने इस तरह निखारा हैं मुझको, आईना भी कहता हैं मेरी क्या जरुरत हैं तुझको।



अरे कितना झुठ बोलते हो तुम, खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत की हैं।



लहज़ा-ए-यार देखने का यूँ हैं कि उफ्फ़, कतरा-कतरा लहूँ भी मेरा इश्क़ हो गया हैं।



कैसे टुकड़ों में कर लु उसे कबूल, जो कभी पूरी की पूरी मेरी थी।



हम टूटे हुए लोग हैं जनाब, ज़रा फ़ासलों पर रहा करो, हमारे लहजे से लोग ज़ख़्मी हैं… हमारे लफ़्ज़ो के घाव ग़हरे हैं।



तुम जो थाम लेते हो हाथ मेरे ख़्वाबों में, कुछ इसलिए भी नींद के शौक़ीन हो गए हम।



ज़रूरी नहीं की मोहब्बत में रोज बातें हो, खामोशी से एक दूसरे की पोस्ट पढना भी मोहब्बत हैं।



वो मुझे खोने से डरता हैं या नही, मुझे पता नही, पर वो मेरे मुस्कान की फ़िक्र मुझसे भी ज्यादा करता हैं, मेरे लिए बस इतना ही काफी हैं।



तड़पना भी अच्छा लगता हैं, जब इंतज़ार किसी अजीज का हो।



किसी के इश्क़ में पड़कर शुरू की शायरी मैंने, फिर हुआ यूं कि मुझको शायरी से इश्क़ हो गया।



दिल मे तुम्हारी सुरत बसी हैं, तस्वीर तुम्हारी मेरे दिल में छपी हैं, मेरी धड़कनों में भी तुम ही धड़कती हो, मेरी हर शायरी में सिर्फ तुम्हारा ही एहसास हैं।



ईश्क का ताबीज़ हैं उसके पास, वो जिसे चाहे दीवाना कर दे।



हर किसी के दिल मे उतर जाए ऐसी हस्ती हैं तेरी, इतनी तारीफ काफी हैं अब लौटा दे तेरे पास जो रह गयी हैं दस्ती मेरी।



ज़िन्दगी की राहों में अक्सर ऐसा होता हैं, फैसला जो मुश्किल हो वही बेहतर होता हैं।



तू मुझमें पहले भी था, तू मुझमें अब भी हैं, पहले मेरे लफ़्ज़ों में था, अब मेरी ख़ामोशियों में हैं।



हमने जो की थी मोहब्बत वो आज भी हैं, तेरे बेपनाह प्यार के साये की चाहत आज भी हैं। रात कटती हैं आज भी ख्यालों में तेरे, दीवानों सी मेरी हालत आज भी हैं।



न जाने किसके मुकद्दर में लिखे हो तुम? मगर, ये सच हैं कि उम्मीदवार हम भी हैं।



मोहब्बत की हकीक़त में,,,, ख़ामोशी आखिरी सच हैं।



मेरा फिक्रमंद होना, बंदिशे थी उनकी, मेरा बेफिक्री-सा अंदाज उन्हें तौहीन लगा उनकी।



बहुत बेबाक आंखो में ताल्लुक टिक नहीं पाता… मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी हैं।



कोई अल्फाज नहीं समझता कोई एहसास नहीं समझता, कोई जज्बात नहीं समझता कोई हालात नहीं समझता, ये अपनी अपनी समझ की बात हैं जनाब, कोई कोरा कागज़ समझ लेता हैं, तो कोई पूरी किताब नहीं समझता।



प्यार कहो या पागलपन, मोहब्बत कहो या नादानियां… तुम्हारे होने से ही तो हैं मेरी सभी शायरी मेरी सभी कहानियां।



बूँद—बूँद करके मुझसे मिलना तेरा, फिर भी मुझमें मुझसे ज्यादा होना तेरा।



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